Suchergebnis zu "ἀνήρ - a)nh/r": 1. gr-Feld: 19 Ergebnis(se).
| ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Ehemann | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Ehrenmann | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Gatte | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Held | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Individuum | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Krieger | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Mann | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Mensch | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Privatmann | | | | | ὡνήρ ὁ ἀνήρ w(nh/r o( a)nh/r |
ὡνήρ = ὁ ἀνήρ | der Mann | | | | | ἀνὴρ ἦν δεινὸς τὴν ψυχήν |
| er war ein geistig (an Geist) gewaltiger Mann | | | | | ἀνήρ τις Γύγης τὸ ὄνομα |
| ein Mann namens Gyges | | | | | ἀνὴρ μάντις |
| ein Seher | | | | | ἀνὴρ Πέρσης |
| ein Perser | | | | | πᾶς ἀνήρ |
| jedermann | | | | | ἀνὴρ καὶ ὢν καὶ δοκῶν ἱκανὸς εἶναι |
| ein Mann, der sowohl zuverlässig war als auch dafür galt | | | | | οὐδέν μοι δοκεῖ ἁνὴρ ἐλλιπεῖν |
| der Mann scheint nichts versäumt zu haben | | | | | γίγνεται ἀνὴρ ἀγαθός |
| er erweist sich als tapferer Mann | | | | | εὐδαίμων μοι ἁνὴρ ἐφαίνετο καὶ τοῦ τρόπου καὶ τῶν λόγων |
| glücklich erschien mir der Mann wegen seiner Haltung und seiner Worte | | | | 2. be-Feld: 10 Ergebnis(se).
| σώματα |
od.: σώματα ἀνδρῶν | Leute | | | | | σώματα |
od.: σώματα ἀνδρῶν | Menschen | | | | | φιλοσόφου ἀνδρός ἐστιν |
| es passt zum Selbstvrständnis eines Philosophen | | | | | θάνατος ἀνδρὸς ἐπιτηδείου |
| der Tod eines befreundeten Mannes | | | | | ἄνδρα ἀχάριστον εὐεργετεῖν ταὐτό ἐστι καὶ ὄφιν τρέφειν |
| einem Undankbaren wohlzutun ist das selbe, wie eine Schlange zu füttern | | | | | οὐδέν μοι δοκεῖ ἁνὴρ ἐλλιπεῖν |
| der Mann scheint nichts versäumt zu haben | | | | | παρ' ἄνδρας ἐλπίζω ἀφίξεσθαι ἀγαθούς |
| ich hoffe, zu guten Menschen zu kommen | | | | | ἄνδρας λαμβάνω |
| werbe Männer an | | | | | πολλὰ γὰρ ἤδη ἐντετύχηκα τῷ ἀνδρί |
| ich habe den Mann schon oft getroffen | | | | | εὐδαίμων μοι ἁνὴρ ἐφαίνετο καὶ τοῦ τρόπου καὶ τῶν λόγων |
| glücklich erschien mir der Mann wegen seiner Haltung und seiner Worte | | | | 3. fo-Feld: 10 Ergebnis(se).
| ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Ehemann | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Ehrenmann | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Gatte | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Held | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Individuum | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Krieger | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Mann | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Mensch | | | | | ἀνήρ, ὁ |
ὁ ἀνήρ, τοῦ ἀνδρός | Privatmann | | | | | ὡνήρ ὁ ἀνήρ w(nh/r o( a)nh/r |
ὡνήρ = ὁ ἀνήρ | der Mann | | | |
2.) Griechisches Wortfeld von ἀνήρ - a)nh/r:ἀνήρ
| ἀνήρ, ὁ, Hom. ἀνέρος, ἀνέρι, ἀνέρα, ἀνέρε, ἀνέρες, ἀνέρας neben ἀνδρός, ἀνδρί, ἄνδρα, ἄνδρε, ἄνδρες, ἄνδρας, ἄνδρεσσι neben ἀνδράσιν, gen. plur. ἀνδρῶν, vocat. sing. ἆνερ Hom.Il. 24, 725; der Mann: 1) im Ggstz des Weibes, γυνή, von Hom. an überall; dah. ἀνδρῶν ἄπαις, ohne männliche Kinder, Plat.Lg. IX, 877 e. Bes. der freie Mann. In der Zusammenstellung beider Geschlechter die Att. ohne Verbindung ἄνδρες, γυναῖκες. – 2) der Mensch im Ggstz der Götter, gew. im plur., πατὴρ ἀνδρῶν τε θεῶν τε, sehr oft vom Zeus. Διὸς ἄγγελοι ἠδὲ καὶ ἀνδρῶν Hom.Il. 1, 384; dgl. auch Hdt. 5, 68. 28. Im Gegensatz gegen die Kentauren Hom.Od. 21, 303. Seltener u. nur bei Dichtern so im sing., z. V. Hom.Il. 13, 321. 18, 432; Soph.OC. 578 Ai. 77. Häufig tritt die besondere Bezeichnung der Sterblichkeit hinzu, βροτὸς ἀνήρ, θνητός, auch ἄνδρες ἥρωες, auffallender ἄνδρες ἡμίθεοι Hom.Il. 12, 23. – 3) der erwachsene Mann, wie Xen. παῖς, μειράκιον, ἀνήρ, πρεσβύτης nebeneinanderstellt, Symp. 4, 17; παῖδες, ἔφηβοι, τελεῖοι ἄνδρες, γεραίτεροι od. οἱ ὑπὲρ τὰ στρατεύσιμα ἔτη γεγονότες Cyr. 1, 2, 4 ff Wo Hom. nicht den Zusatz νέος, ὁπλότερος u. ä., od. γέρων u. προγενέστερος macht, versteht er waffenfähige Männer, in der ll. meist den Krieger; diese Bdtg bleibt auch bei den Historkern vorherrschend, ἄνδρας ἑλέσθαι, συλλέξαι, Mannschaft wählen, ausheben, u. bei Zahlenbestimmungen eines Heeres, wie unser: tausend Mann. Vgl. Plat. ἀνὴρ καὶ πώγωνος ἤδη ὑποπιμπλάμενος Prot. 309 a; ἀνὴρ δὲ γενόμενος Dem. 18, 259, worauf εἰς τοὺς δημότας ἐγγράφεσθαι folgt, 261. – 4) der Mann, mit Nachdruck gesagt, der rechte, tüchtige, tapfere Mann, ἀνέρες ἔστε, φίλοι Hom.Il. 8, 174; im Ggstz von ἄνθρωπος, πολλοὶ ἄνθρωποι, ὀλίγοι ἄνδρες Hdt. 7, 210; vgl. Xen. Hier. 7, 3 ἄνδρες καὶ οὐκέτι ἄνθρωποι μόνον νομιζόμενοι, womit An. 1, 7, 4 zu vgl. Welche Eigenschaft bes. hervorzuheben ist, zeigt der Zusammenhang; denn von Barbaren heißt es Ar.Ach. 77 ἄνδρας ἡγοῦνται μόνους τοὺς πλεῖστα δυναμένους καταφαγεῖν καὶ πιεῖν. Bei Attikern oft: der Ehrenmann. Vgl. noch Soph.OC. 393 Ai. 1217; οὐ λόγων δεῖ σ' ἀλλὰ τἀνδρός Eur.Hipp. 491; πρὸς τάδ' ἄνδρα γενέσθαι σε χρή El. 693; ἐτητύμως ἄνδρ' ὄντα Heracl. 998; ὡς ἀληθῶς ὄντος ἀνδρός Plat.La. 188 c; οὐκέτι ἀνήρ, ἀλλὰ σκευοφόρος Xen.Cyr. 4, 2, 12; νῦν σοι ἔξεστιν ἀνδρὶ γενέσθαι, jetzt kannst du ein berühmter Mann werden, An. 7, 1, 21. – 5) Ehemann, Gatte, Hom.Il. 19, 291; ἀνέρι μητέρα δώσω, verheiraten, Hom.Od. 2, 223; Hdt. 1, 146 u. sonst öfter; εἰς ἀνδρὸς ᾔει λέκτρα Eur.Or. 458; λέκτρων ἀνδρὸς ἐστερημένη Med. 286; εἰς ἀνδρὸς ἔρχεσθαι, vermählt werden, Alciphr. 3, 41. Bei Soph.Tr. 531 bildet es den Ggstz vom rechtmäßigen Gemahl, πόσις, ein Beischläfer; εἰς ἀνδρὸς ὥραν ἡκούσης τῆς κόρης, mannbar werden, Plat. Critia 113 d. – 6) Sehr gewöhnlich ist bes. bei Attikern die Vrbdg mit anderen subst., die meistenteils adjektivischer Natur sind, bes. bei Völkernamen u. in Anreden, wo der Ausdruck ehrenvoller wird. Es steht in dieser Vrbdg nie der Artikel dabei, ἀνὴρ Πέρσης, ein Perser, ἄνδρες Ἀθηναῖοι, πολῖται, στρατιῶται, ihr Herren Athener u. s. w., vgl. κλῶπες Eur. Rhes. 645; μάντις, τύραννος Thuc. 6, 85. 2, 89; oft bei Plat. φιλόσοφος, τραγικός, μουσικός, ein Philosoph u. s. w. So ist auch ἀνἡρ νεανίας, ein junger Mann, Xen.Cyr. 2, 2, 6 zu fassen; vgl. Eur. El. 344. – Bei den Attikern tritt es auch oft zur Stütze zu einem adj., φίλος ἀνήρ, er ist mein Freund, Plat.Tht. 162 a; σοφὸς γὰρ καὶ θεῖος ἀνήρ, er ist weise u. göttlich, Rep. 1, 331 e; bes. so bei φίλος, ἐχθρός, δίκαιος u, ä. Bei Xen. steht οἱ ἄνδρες allein öfter geradezu für Feinde, z. B. An. 3, 1, 23. Ebenso steht es bei partic., ἀνὴρ ἐπιστάμενος, ἐρῶν, ein Wissender, ein Liebender, Plat.Phd. 76 b Conv. 179 a. – 7) Im Att. sowohl bei den Tragg., die in diesem Fall auch den Artikel weglassen, als in Prosa, wo wenigstens in den cas. obliq. der Artikel immer dabei steht, vertritt es nachdrücklich die Stelle des pronom.; schon Hdt. ἀνὴρ ὅδε für ἐγώ 1, 108; vgl. Xen.An. 1, 3, 12; Plat.Grg. 470 d Phaed. 58 e; ähnl. οὗτος ἀνήρ, der da! Gorg. 467 b; πᾶς ἀνήρ, jedermann, Eur.Or. 1528, u. öfter Plat. – In der Krasis mit dem Artikel ion, ὥνήρ, att. ἅνήρ, auch τἀνδρός u. s. w. – Das α ist bei Hom. in den dreisilbigen Formen immer lang, ebenso ἆνερ in der Arsis Hom.Il. 24, 725; wo bei att. Dichtern α lang ist, ist die Krasis mit dem Artikel anzunehmen; in den Chören brauchen sie zuweilen die dreisilbigen Formen mit langem α. | |
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